Sunday, December 11, 2011

छोड़ आये हम वो गलियां

छोड़ आये हम औरंगाबाद की 'गलियां'
जहाँ सुबह दूध के साथ प्यार मिला करता था
जहाँ छोटे होने का एहसास हुआं करता था
जहाँ cycle चलाने का समां हुआं करता था
जहाँ बोर्ड merit आने का खुमार हुआं करता था

छोड़ आये हम NITK की 'दुनिया'
 जहाँ Ragging का अलग मजा हुआं करता था
जहाँ दोस्तों का प्यार बढ़ा करता था
जहाँ Grand Dinner का इंतज़ार हुआं करता था
जहाँ beach पर घंटों विचार विमर्ष हुआं करता था
जहाँ खुले आस्मां के तले Movie  चला करती थी
जहाँ Sem-exams  का  बुखार हुआं करता था

 छोड़ आये हम Oracle की 'कुर्सियां'
जहाँ Innovation का खुमार   हुआं करता था
जहाँ "भाई" को कुत्ता बोला जाता था
जहाँ 'गवत' पर ज्ञान का आदान प्रदान हुआं करता था
जहाँ 'CubiCket ' का platform develop हुआं करता था
जहाँ TT Table का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआं करता था  
जहाँ हंसी ख़ुशी काम हुआं करता था

छोड़ आये हम IMI की 'तितलियाँ'
जहाँ 'Singhvi  Sir ' के  नाम से पसीने छुटा करते थे
जहाँ Facebook सबसे महत्वपूर्ण Assignment हुआं करता था
जहाँ रातो रात Research पूरा हुआं करता था
जहाँ दिन रात Gossip चला करती थी 
जहाँ Clubs के नाम से गालियाँ निकला करती थी
जहाँ रात को दो बजे कॉलेज के दरवाजे 'खुला' करते थे

छोड़ आये हम वो गलियां
ना जी सकेंगे हम फिर वोह सदियाँ
ना भूल पाएंगे हम वो  कहानियां
छोड़ आये हम वो गलियां   

-नालायक पोरगा

Sunday, November 13, 2011

प्रगती ....

बाळाच्या जन्मासाठी सृष्टीचे नियम पाळले जात
आता मात्र फक्त कात्री लावतात
तेव्हा बाळ देवाची कृपा असे
आता मात्र वेळाची कृपा आहे !!

बाळाची हक्काची साथीदार आई
आता मात्र साथीदार काम वाली बाई
खाण्यासाठी आई खाऊ माऊ करे
आता मात्र दुकानाकडे धावे !!

बापाकडे पोरासाठी नेहमी असे वेळ
आता मात्र वेळ मारी, देऊन विविध खेळ
बापाचा शब्द म्हणजे दगडावरची काळी रेघ
आता मात्र शब्द म्हणजे Paint मधील एक रेघ !!

माय बाप देई पोरांना Quality time
आता मात्र Hotel Quality मध्ये dine
माय बाप देई पोराला जीवनाचे धडे
आता ते स्वतः धड इकडे ना तिकडे !!


लोक म्हणतात झालो आपण प्रगत
Nuclear आहे family, आहे सुकर जीवन
मला मात्र प्रश्न एकच पडतो
कुठे आहे Nucleus आणि कुठे आहे Family !!

(This one is a take on how we as a society are transiting from 'our'  to western. )
- नालायक पोरगा